धामनोद //किसान बैठे भूख हड़ताल पर कंपनियां कर रही बिना सूचना के पुरखो की जमीनों पर अतिक्रमण लगाए आरोप
औद्योगिक क्षेत्र को आवंटित की गई भूमि के विरोध में स्थानीय किसान बैठे दो दिनों से भूख हड़ताल पर*भूख हड़ताल पर बैठे किसानों से चर्चा कर किसानों द्वारा रखी गई मांगों को उच्च अधिकारियों तक पहुंचाऊंगा- नायब तहसीलदार श्री कृष्णा पटेल
__________________________
धामनोद-ग्राम पंचायत बलवारी ग्राम ,सिसोदिया के गांव लालबाग, बासवी ,खोकरिया ,की आम जनता एमपीआईडीसी कंपनी द्वारा बिना ग्राम सभा केअनुमोदन व किसानों को बिना सूचना दिए ही कंपनी द्वारा ठेकेदार की मनमर्जी से किसानों की पूर्वजों के समय से खेती की जमीन वह चरन्नई भूमि पर कार्य चालू कर दिया गया है आसपास के सारी जमीन को खोदकर मिट्टी निकाली गई । जिससे कई किसानों की फसल भी नष्ट हो रही है लगभग 5 से 7 गांव की जो चरन्नोई भूमि थी वह एमपीआईडीसी कंपनी द्वारा अधिकृत कर खुदाई का कार्य चालू कर दिया गया जिससे गांव के किसान अपने गायों को चराने के लिए तरस रहे हैं क्योंकि चरन्नोई भूमि पूरी खत्म हो गई है इसलिए नहीं चाहते हुए भी किसानों को अपने पालतू गाय बैल जानवरों को कहीं पर दान या बचना पड़ रहा है या जंगल में छोड़ने पर मजबूर हो रहे हैं क्योंकि चराने के लिए जो चरन्नोई भूमि थी वह पूरी तरह खत्म कर दी गई है इससे तंग आकर आज लालबाग की भूमि पर लगभग तीन गांव के महिला पुरुष भूख हड़ताल पर बैठ गए हैं जिससे आज से 2 दिन हो गए हैं लेकिन शासन प्रशासन के उच्च अधिकारियों को इससे कोई फर्क नहीं पड़ रहा है आज से 5-7 साल पहले पलासिया जेतापुर कंपनी द्वारा भी किसानों के ऊपर अत्याचार करने से दो किसने की जान चली गई थी आज वही स्थिति लालबाग में देखने को मिल रही है अगर शासन यहां पर समय पर ध्यान नहीं दिया वह हड़ताल पर बैठे किसान परिवारों में से किसी भी समय पर किसी के साथ जनहानि होने की संभावना दिख रही है हरियाली अमावस्या को आदिवासी समाज उसे एक त्योहार के रूप में मनाता है लेकिन कंपनी से परेशान होकर त्योहार को छोड़कर अपने परिवार सहित भूक हड़ताल पर बैठना पड़ा जो कहीं ना कहीं आदिवासी समाज की परंपराओं को भी ठेस पहुंचती है
ग्राम पंचायत बलवारी सरपंच सुरेश गिरवाल
ग्राम पंचायत की ओर से किसी भी प्रकार से कोई लिखित में जानकारी या अनुमति पंचायत ने कंपनी को नहीं दी गई है एक और संदेश दिया कि आज तक शासन द्वारा ग्राम पंचायत के जितने भी गांव हैं वह आबादी से वंचित हैं जो लगभग 100 वर्षों से भी अधिक समय से रहते आ रहे हैं ऐसे धरमपुरी तहसील के कई ग्राम पंचायत के छोटे-छोटे गांव हैं जो आबादी में नहीं लिये गए हैं आबादी में न होने के कारण गरीब परिवारों को आवास पट्टे नहीं मिलने से कंपनियों से परेशान होना पड़ रहा है
सामाजिक कार्यकर्ता राज परमार
मध्य प्रदेश सरकार ने औद्योगिक क्षेत्र के विकास के लिए 216 एकड़ जमीन एमपीआरडीसी को दी गई कंपनी के द्वारा खुदाई कार्य किया जा रहा है इसके विरोध में गुरुवार से भूख हड़ताल पर बैठे ग्रामीण
No comments:
Post a Comment