*_मेहगाँव कांड पिता पुत्र आत्महत्या मामले में_*फरार महिला आरोपी प्रज्ञा पाटीदार की अग्रीम जमानत याचिका हुई खारीज_*
*_महिला मंडलेश्वर न्यायालय में लिपिक पद पर पदस्थ थी_*
*धामनोद।* बहुचर्चित मेहगाँव कांड में पिता पुत्र शषांक दुबे एवं अजय दुबे की आत्महत्या के मामले में पुत्र का शव नर्मदा में मिलने के बाद धामनोद पुलिस द्वारा मेहगांव के पाटीदार परिवार के आठ लोगों पर प्रकरण पंजीबद्ध किया था। जिनमें से पाँच आरोपियों को पुलिस गिरफ्तार कर जेल भी भेज चुकी है। वहीं अभी तीन आरोपी अभी भी फरार बताए जा रहे हैं । फरार आरोपियों में से एक महिला आरोपी मण्डलेश्वर न्यायालय में लिपिक पद पर पदस्त प्रज्ञा पति मनीष पाटीदार पर भी प्रकरण पंजीबद्ध हुआ था। जो प्रकरण पंजीबद्ध होने के बाद से ही फरार चल रही थी। महिला द्वारा अपने वकील के माध्यम से दिनांक 6 सितंबर 2024 को अग्रीम जमानत याचिका क्रमांक बीए/95/2024 माननीय जिला व सत्र न्यायाधीश अनिल चौहान धरमपुरी के न्यायालय में प्रस्तुत की गई। जिस पर आवेदिका के वकिल द्वारा न्यायालय में अपने तर्क के साथ बताया कि आवेदिका प्रज्ञा पाटीदार की एक छः वर्ष की बेटी है । जिसका लालन पालन उसी पर निर्भर है । वहीं खुद लिपिक के पद पर मण्डलेश्वर न्यायालय में पदस्त हूँ। मुझे पुरे मामले में जबरन फँसाया जा रहा है, जिस दिन की घटना है इस दिन मैं न्यायालय में 15 अगस्त की तैयारियों लगी हुई थी, ऐसे कई तर्क दिये गये।
इधर दुबे परिवार की तरफ से आपत्तिकर्ता ललित दुबे के अधिवक्ता विकास भारद्वाज एवं अधिवक्ता प्रदीप दुबे द्वारा जमानत याचिका के विरोध में तर्क प्रस्तुत किये गये। जिसमें महिला न्यायालय में पदस्त होने के कारण अपने प्रभाव का उपयोग कर सबूतों के साथ छेड़छाड़ करने, गवाहों को डराने धमकाने और राजनैतिक रसूक के चलते मामले को प्रभावित कर सकने जैसे तर्क दिए गए। दोनों अधिवक्ताओं की दलीलों को मद्देनजर रखते हुए माननीय न्यायालय धरमपुरी द्वारा निर्णय देकर इसे गंभीर प्रकृति का अपराध मानकर अग्रीम जमानत याचिका को खारीज कर दिया गया। अग्रीम जमानत खारिज होने की जानकारी पीड़ित पक्ष के वकील प्रदीप दुबे द्वारा मिडिया को दी गई।
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