*_ना जाने कब लगेेगा प्रतिबन्ध ध्वनी प्रदूषण पर . . ._*
*_फटाकों वाले सायलेन्सर लगाकर दौड़ा रहे मोटर सायकलें_*
*_पुलिस का डर नहीं, समझाई देने पर करते हैं दादागीरी_*
*_रसूखदारों के आगे नतमस्तक हो जाती है पुलिस_*
*धामनोद।* प्रकाश जोशी ( तेजाब )यूँ तो धामनोद नगर पुरे धार जिले का सबसे अच्छा नगर कहलाता है। जहाँ हर तरह की सुविधाएँ जैसे षिक्षा, चिकित्सा, व्यापार, आवागमन के साधन जैसी कई सुविधाएँ प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है और इन्हीं प्रचुर सुविधाओं के चलते सरकार को सबसे अधिक राजस्व भी इसी नगर से मिलता है।
नगर में सभी सुविधाओं का मौजुद होना नगर के लिए कॉफी गौरव की बात तो है ही। परन्तु यहाँ सबसे अधिक ध्वनी प्रदूषण भी कॉफी मात्रा में सुबह से लेकर देर रात्रि तक लगातार बना रहता है। ऐसे में आमजनों को कॉफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। सबसे अधिक मुख्य मार्ग पर रहने और व्यापार करने वालों को इस ध्वनी प्रदूष्ण की मार झेलना पड़ती है। यहाँ मुख्य मार्ग से निकलने वाले वाहनों पर लगे प्रेषर हार्न लगातार बजते रहते हैं। इतना ही नहीं यहाँ से गुजरने वाली ट्रकें भी कोई कसर नहीं छोड़ती है।
उपर से नगर के ही बिगड़ैल रईसजादे भी कुछ कम नहीं पड़ते हैं। जिन्हें उनके परिजन मेहँगी मेहँगी मोटर सायकलें दिला देते हैं और वे देर शाम में अपने रसूख को दिखाने के लिए इन मोटर सायकलों पर मुख्य मार्ग सहित कॉलोनियों में निकलते हैं और अपनी मोटर सायकलों से तेज आवाज वाले सायलेन्सरों से फटाओं सी आवाज निकाते हुए रफुचक्कर हो जाते हैं। सबसे बड़ी बात तो यह देखने को मिली की इन मोटर सायकलों पर ना तो दम्बर लिखे हुए मिलेंगे वहीं इनके चालक भी नाबालिक जिनके लायसेन्स तक नहीं है। ऐसे में पैदल चलने वाले राहगीर, दुकानों के व्यापारी, महिलाएँ, बच्चे चमक जाते हैं और कई बार तो पैदल चल रही महिला एवं बच्चे तो डर से गिर भी जाते है। इन रईजादों को लोगों को डराने में कॉफी आनन्द की अनुभूति मिली है। वहीं नगर में होने वाले आयोजनों के दौरान बजने वाले डीजे भी अपने फुल साउण्ड के साथ निकलते हैं उस दौरान नगर के हर मकान के दरवाजे काँच की खिड़कीयाँ सभी थरथराने लग जाते हैं। वहीं बुजुर्गों के हृदय की धड़कनें तक तेज हो जाती है।
परन्तु नगर में इस प्रकार हो रहे ध्वनी प्रदूषण को रोकने वाला कोई नहीं है। जब इस प्रकार एक आध बार समाचार प्रकाषित होता है तो पुलिस भी महज खाना पूर्ति करने जैसी कार्यवाही करती है। साथ ही किसी रसूखदार रईषजादे के वाहन का चालान बनता है तो पुलिस नेताओं के हाथों की कठपुतली बन महज समझाईष देकर उसे छोड़ देती है। पुलिस द्वारा कभी भी प्रेषर हार्न, मोटर सायकलों के सायलेन्सरों आदि पर कोई सख्त कार्यवाही नहीं की गई, ना ही नगर सीमा के अन्दर प्रेषर हार्न पर प्रतिबन्ध लगाया गया।
*_क्या कहना है इनका -_*
नगर के रहवासियों को ध्वनी प्रदूषण के कारण कॉफी दिक्कत का सामना करना पड़ता है वहीं मोटर सायकलों पर लगे फटाके की आवाज वाले सायलेन्सरों पर सख्त कार्यवाही हो चाहिये। - *सुषील जैन, रहवासी*
मेरी दुकान महेष्वर चौराहे पर स्थित है जहाँ चारों तरफ से निकलने वाले वाहनों द्वारा निकलने की जगह को लेकर लगातार प्रेषर हार्न बजाये जाते हैं। जिससे कॉफी दिक्कत महसूस होती है। जिसके चलते हमारे कानों में समस्या उत्पन्न होने लगी है। - *विनय अग्रवाल, व्यापारी*
मोटर सायकलों के सायलेन्सरों से निकलने वाली फटाकों सी आवाज के चलते कई बार विवाद की स्थिति निर्मित होती रहती है। कई युवा तो ऐसे है जो नाबालिक होने के बावजुद इन मोटर सायकलों को चला रहे है। वहीं उन मोटर सायकलों पर नम्बर प्लेट तक नहीं लगी हुई। परिजनों को षिकायत करने पर उल्टा दादागीरी एवं बदतमीजी करने से भी बाज नहीं आते हैं। - *विष्णु कर्मा, पार्षद*
*_क्या कहते हैं जिम्मेदार -_*
ध्वनी प्रदूषण को लेकर जो समस्याएँ चल रही है उन पर कल से ही सख्त कार्यवाही शुरु कर दी जायेगी। - *मनोजकुमार सिंह,* पुलिस अधीक्षक, धार
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