*_स्कूल बसों पर नये नियम के तहत क्या है आवशयक_*
*_महिला सहायक या महिला कर्मचारी (कंडक्टर)_*
*धामनोद / स्कूलों में नये शिक्षा सत्र की शुरुवात तो लगभग 15 जून से हो चुकी है, परन्तु बच्चों के एडमीशनों का सिलसिला जारी होने से पूर्ण रुप से स्कूलों का संचालन 15 जुलाई के बाद से शुरु हो पाया है। ऐसे में स्कूलों में मेनेजमेन्ट द्वारा नये कर्मचारियों की भर्ती भी की जा रही है। जिनमें बच्चों को पढ़ाने से लेकर स्कूल की स्टाफ, सफाई कर्मचारी, स्कूलों बसों में ड्रायवर, हेल्पर आदि कर्मचारियों को रखा गया है।
वहीं शासन प्रशासन द्वारा नये सत्र की शुरुवात में छात्र छात्राओं की सुरक्षा को लेकर कुछ नियमों को लागू करते हुए बदलाव किये गये हैं। जिसमें विषेश रुप से बालिकाओं की सूरक्षा को लेकर नियमों में बदलाव लाये गये है।
इन्हीं नये बदलाव को देखते हुए मंगलवार को धामनोद थाना प्रभारी अमितसिंह कुशवाह द्वारा नगर के एक निजी स्कूल में नगर की सभी स्कूलों के बस ड्राइवरों, हेल्परों, और स्कूल बसों को चेक किया गया। जिसमें ड्रायवरों के लायसेंस, बसों के फिटनेस, बीमा, सुरक्षा के संसाधन व अन्य दस्तावेज चेक किए गए। ड्रायवरों एवं स्कूल संचालकों को हिदायत भी दी गई कि स्कूल बसों में बच्चों को लाने व वापस जाते समय महिला सहायक कर्मचारी को स्कूल बस में उपस्थित रखना अनिवार्य रहेगा व स्कूल के बच्चों को भी नए कानून के संबंध में जानकारी दी गई। उक्त कार्यक्रम में थाना प्रभारी अमितसिंह कुशवाह, एसआई दीपिका बामनिया, एएसआई बालकृष्ण कुमरावत, एएसआई पदमसिंह भाटी एवं यातायात का बल उपस्थित था।
*_नियम में क्या होना चाहिये -_*
पुरे जिले में स्कूल बसों की जाँचें की जा रही है, मगर वास्तविकता से परे हटकर की जा रही है। पुलिस केवल बसों के फिटनेस और चालकों के लायसेन्सों की जाँच कर स्कूल प्रबन्धन से बस में महिला कर्मचारी की अनिवार्यता की समझाईष दे रही है। जबकि इसके विपरित बस में महिला सहायक कर्मचारी (कंडक्टर) की अनिवार्यता नियमों में बताई गई है। वह महिला कर्मचारी जिसे यातायात के नियमों का ज्ञान बसों में बच्चों को कैसे बैठाना, उतारना, सड़क क्रास कराने जैसी अन्य सभी जानकारियाँ उसे होना चाहिये। परन्तु स्कूल प्रबन्धन महज महिला कर्मचारी भले ही वह स्टॉफ टीचर हो या साफ सफाई करने वाली महिला हो की उपस्थिति बताकर अपने कर्तव्य से इतिश्री करने में लगे हुए है। वहीं पुलिस विभाग और अन्य विभाग स्कूल संचालकों की हाँ में हाँ मिलाकर अपनी रोटियाँ सेकने में लगे हुए है।
*_बसों में भी अनियमितताएँ -_*
आरटीओ विभाग द्वारा बसों का फिटनेस तो कर दिया जाता है मगर बाद में कभी उनकी जाँच के लिए नहीं आते हैं। बसों के दोनों दरवाजे ठीक हैं कि नहीं उन्हें खोला भी जाता है कि नहीं। उसके अलावा भी स्कूल प्रबन्धन बसों के पिछले दरवाजों को बन्द कर उस स्थान पर सीटें लगाकर बच्चों को बैठने की जगह बना देते हैं। एक दरवाजे से ही बच्चों को उतारा एवं चढ़ाया जाता है। ऐसी कई बसें नगर के स्कूलों की देखी जा सकती हैं। यूँ तो यातायात विभाग एवं ट्रॉफिक विभाग द्वारा कई नियम स्कूल बसों के लिए लागू किये गये हैं उनमें से कितने नियमों का पालन कर स्कूल प्रबन्धन बसों का संचालन कर रहा है। यह कहीं ना कहीं आरटीओ विभाग, पुलिस विभाग, ट्रॉफिक विभाग एवं शिक्षा विभाग द्वारा की जा रही अनदेखी पर प्रश्न चिन्ह लगा रही है।
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