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Saturday, 2 August 2025

_मंडलेश्वर// उमिया कालेज की प्राचार्य निलंबित बी एड की छात्राओं से पास करवाने के बदले मांगे पैसे कॉलेज पर लगाया ताला

*_मंडलेश्वर// उमिया कालेज की प्राचार्य निलंबित बी एड की छात्राओं से पास करवाने के बदले मांगे पैसे कॉलेज पर लगाया ताला



 *विद्यार्थी परिषद ने किया चक्का जाम और कालेज पर जड़ा ताला* 



(विनोद भार्गव ) मंडलेश्वर क्षेत्र में स्थित उमिया कन्या महाविद्यालय शुक्रवार  को अचानक उथल-पुथल का केंद्र बन गया, जब अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के कार्यकर्ताओं ने महाविद्यालय परिसर का घेराव कर जमकर नारेबाजी की। कार्यकर्ताओं ने आरोप लगाया कि महाविद्यालय के प्राचार्य द्वारा बीएड परीक्षा परिणामों में अनियमितताएं की गई हैं तथा छात्राओं से पैसे लेकर उन्हें पास कराने का अनुचित दबाव बनाया गया।

एबीवीपी पदाधिकारियों का कहना था कि बीएड के चतुर्थ सेमेस्टर का हाल ही में घोषित हुआ परिणाम बेहद निराशाजनक रहा है। अनेक छात्राओं का परिणाम फेल में आया है हालात तो यह जिन्होंने पहले तीन सेमेस्टर में उत्कृष्ट अंक प्राप्त कर प्रथम श्रेणी हासिल की थी, अचानक चौथे सेमेस्टर में दो-दो विषयों में असफल घोषित कर दी गईं। इससे छात्राओं का भविष्य अधर में लटक गया है।


 *अच्छे अंक चाहिए तो अतिरिक्त राशि का भुगतान करना होगा* 


छात्राओं का आरोप है कि प्राचार्य द्वारा प्रैक्टिकल परीक्षा के नाम पर प्रत्येक छात्रा से एक हजार रुपये अनौपचारिक रूप से वसूले गए थे। इतना ही नहीं, यह तक कहा गया कि यदि परीक्षा में अच्छे अंक चाहिए तो अतिरिक्त राशि का भुगतान करना पड़ेगा। एबीवीपी कार्यकर्ताओं ने इन आरोपों को गंभीर बताते हुए कहा कि यदि शिक्षा मंदिर में ही इस तरह की भ्रष्ट मानसिकता पनपने लगेगी तो छात्राओं का भविष्य सुरक्षित कैसे होगा।


 *छात्राओं एवं एबीवीपी ने किया चक्का जाम* 


प्रदर्शन के दौरान छात्राओं ने एबीवीपी के साथ मिलकर महेश्वर मंडलेश्वर के बीच सड़क पर बैठकर रास्ता जाम कर दिया,जो लगभग तीस मिनट तक बंद रहा। एबीवीपी की मांग पर एसडीएम अनिल जैन धरना स्थल पर पहुंचे जहां ज्ञापन लेकर सभी के साथ कालेज मैनेजमेंट से चर्चा के लिए कालेज कार्यालय में गए।कार्यकर्ताओं ने प्राचार्य पर यह भी आरोप लगाया कि वे छात्राओं से अनैतिक दबाव डालकर आर्थिक शोषण करते हैं। परिणाम के खराब आने के बाद जब छात्राओं ने उत्तर पुस्तिकाओं में पुनर्मूल्यांकन की बात उठाई, तो उन्हें यह कहकर टाल दिया गया कि "परिणाम बदलना संभव नहीं है।"यदि बदलना है तो इसके लिए आपको तय राशि का भुगतान करना होगा। इस रवैये से छात्राएं आक्रोशित हो उठीं और उन्होंने अपनी पीड़ा एबीवीपी पदाधिकारियों के सामने रखी। वहीं एबीवीपी ने प्राचार्य पर विभिन्न सामान मंगाने  का आरोप लगाया व जिन विद्यार्थियों ने पहले पास होने के लिए पैसे दिए वे पास हो गए व बाकी फैल हो गई,फैल होने वालों की संख्या बहुत ज्यादा है।फेल हुए विद्यार्थियों से संस्था के लाइब्रेरियन महेश पवार द्वारा  बोला जा रहा है कि आप तय राशि दोगे तो पुनर्मूल्यांकन में आपको पास करवा दिया जाएगा।


 *संस्था के प्राचार्य पर लगाए जातिगत भेदभाव के आरोप* 


अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद और छात्राओं ने संस्था के प्राचार्य पर जातिगत भेदभाव का आरोप भी लगाया गया है छात्राओं ने बताया कि प्राचार्य अनुसूचित जाति , जनजाति की छात्राओं को ये बोला जाता है कि ये लोग चेहरे से ही नजर आ जाते है किसी भी शैक्षणिक संस्था में इस तरह का भेदभाव किया जाना नियमों और संविधान के विरुद्ध है ऐसी संस्थाओं पर कठोर कार्यवाही की जाना चाहिए 


 *भविष्य पर संकट* 


बीएड की पढ़ाई कर रही खरगोन की आस्था बिल्लौरे का कहना है कि उन्होंने पहले तीन सेमेस्टर में लगातार मेहनत की और अच्छे अंक भी हासिल किए। कई छात्राओं ने तो तीनों सेमेस्टर में प्रथम श्रेणी तक प्राप्त की थी। ऐसे में चौथे सेमेस्टर में अचानक फेल होना समझ से परे है। छात्राओं ने सवाल उठाया कि यदि पहले सेमेस्टर से लेकर तीसरे सेमेस्टर तक वे अच्छी तरह पढ़ाई कर उत्तीर्ण होती आई हैं, तो फिर चौथे सेमेस्टर में अचानक परिणाम इतना खराब कैसे हो सकता है। यह साफ तौर पर परिणामों में गड़बड़ी और प्रबंधन की मनमानी का संकेत है।इस पूरे घटनाक्रम ने छात्राओं को मानसिक दबाव में ला दिया है। कुछ छात्राएं भावुक होकर प्रदर्शन स्थल पर ही रो पड़ीं। उनका कहना था कि परिवार ने बड़ी उम्मीदों के साथ उन्हें बीएड की पढ़ाई के लिए भेजा है, लेकिन अब परिणाम खराब आने से उनके भविष्य पर प्रश्नचिह्न लग गया है। यदि यह समस्या जल्द हल नहीं हुई, तो वे आगे की पढ़ाई या नौकरी के अवसरों से वंचित रह जाएंगी


 **प्रशासन संदेह के घेरे में* *छात्राओं से चर्चा करने हेतु नहीं थी कोई महिला* 


प्रशासन जब छात्राओ व एबीवीपी को लेकर प्रबंधन से चर्चा के लिए परिसर के हाल में एकत्रित हुए तो वहां पुरे समय से प्रशासन का साथ दे रहा मीडिया भी पहुंच गया, मिडिया की उपस्थिति प्रशासन को रास नहीं आई व प्रशासन ने मीडिया को ‌महिलाओ की निजता का हवाला देकर बाहर जाने को कह दिया जिससे मिडिया प्रशासन पर उखड़ गया व चर्चा का बहिष्कार कर बाहर आ गया जिस पर एबीवीपी व छात्राओं ने भी चर्चा का बहिष्कार कर फिर से सड़क पर बैठ गये।हैरत इस बात की महिलाओं की निजता की बात करने वाले यह गौर नहीं कर पाये की कन्याओ के नाम पर चलने वाले  कालेज में छात्राओं की समस्या सुनने के लिए एक भी महिला उपस्थित नहीं थी वहीं प्रशासन की और से भी एक भी महिला अधिकारी मौजूद नहीं थी इन सभी बातों को लेकर प्रशासन संदेह के घेरे में है कि क्या वह इन रसुखदारो को बचाने का प्रयास कर रहा था जिसके चलते मिडिया को वहां से हटा रहा था।


 *पुलिस प्रशासन के तरफ से भी नहीं थी महिला आरक्षकों की व्यवस्था* 

पुलिस प्रशासन अपनी कार्यशैली लो लेकर हमेशा चर्चा में रहता है आज के घटनाक्रम में भी पुलिस ये भूल गई थी कि उमिया कालेज के सामने किए जा रहे धरना प्रदर्शन में छात्राएं भी मौजूद थी परंतु पुलिस प्रशासन अपने घमंड में ये भूल गया था कि उन्हें महिला आरक्षकों की ड्यूटी भी लगाना थी ताकि किसी भी अप्रिय स्थिति में महिला आरक्षक छात्राओं को संभाल सके 


 *महाविद्यालय प्रशासन की सफाई* 


दूसरी ओर, महाविद्यालय प्रशासन ने इन आरोपों को पहले तोसिरे से खारिज कर दिया था किंतु जब सभी बातें सामने आई तो एसडीएम की उपस्थिति में संस्था ने निर्णय लेकर प्राचार्य डा अलका पाठक व ग्रंथपाल महेश पवार को भ्रष्टाचार व अभद्र व्यवहार का हवाला देकर संस्था से निलंबित कर दिया। साथ ही सस्था ने कुलसचिव को पत्र लिखकर मांग करी बीएड चतुर्थ सेमेस्टर का परिणाम बहुत खराब घोषित हुआ है जिसके चलते विद्दार्थियो में आक्रोश है।अतएव विद्यार्थियों के भविष्य को ध्यान में रखते हुए कापियों का पुर्नमुल्याकन कर परीक्षा परिणाम घोषित किया जाए।

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