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Monday, 9 September 2024

_बहुचर्चित मेहगाँव कांड पिता पुत्र आत्महत्या मामला . . .फरार तीन आरोपियों की अग्रीम जमानत याचिकाएँ हुई खारिज_

 *_बहुचर्चित मेहगाँव कांड पिता पुत्र आत्महत्या मामला . . .फरार तीन आरोपियों की अग्रीम जमानत याचिकाएँ हुई खारिज_*




*_तीन दिन पूर्व महिला प्रज्ञा पाटीदार की जमानत भी खारिज हो चुकी_*

*_आज दो अन्य आरोपियों की भी अग्रीम जमानत याचिकाएँ हुई खारिज_*

*धामनोद।* बहुचर्चित मेहगाँव कांड में पिता पुत्र अजय दुबे एवं शषांक दुबे की आत्महत्या के मामले में पुत्र शषांक दुबे का शव घटना के 9 दिनों बाद नर्मदा में तैरता मिलने के बाद धामनोद पुलिस द्वारा सोसाईड नोट में लिखे नामों एवं अन्य साक्षों के मद्देनजर मेहगांव के पाटीदार परिवार के आठ लोगों पर प्रताड़ना एवं आत्महत्या के लिए उकसाने की धाराओं में प्रकरण पंजीबद्ध किया था। हालाँकि पुलिस द्वारा प्रकरण पंजीबद्ध करने के तत्काल बाद पाँच आरोपियों को तो गिरफ्तार कर जेल भी भेजा जा चुका है। वहीं तीन आरोपी अभी भी फरार बताए जा रहे हैं। फरार आरोपियों में से एक महिला आरोपी प्रज्ञा पति मनीष पाटीदार द्वारा अपने वकील के माध्यम से 6 सितंबर 2024 को अग्रीम जमानत याचिका जिला व सत्र न्यायालय धरमपुरी में प्रस्तुत की गई। जो माननीय न्यायाधीष महोदय द्वारा खारिज कर दी गई।

      अब उसी मामले में फरार दो अन्य आरोपियों द्वारा भी 9 सितम्बर को अग्रीम जमानत याचिका अतिरिक्त जिला व सेशन न्यायाधीश माननीय अनिल चौहान धरमपुरी के न्यायालय में आरोपी नरेन्द्र देवराम पाटीदार बीए/98/2024 तथा आरोपी गजेन्द्र पिता भगवान पाटीदार बीए/97/2024 के जमानती आवेदन प्रस्तुत किए गए। जिस पर माननीय न्यायालय द्वारा विचार करने के उपरांत एवं आवेदकों के अधिवक्ता द्वारा दिये गये तर्कों में बताया कि उक्त दोनों पिता पुत्र के द्वारा आत्महत्या ना करते हुए हमें फँसाने की नियत से गायब हो चुकें हैं। वहीं नर्मदा नदी में पाए गए शव उक्त दोनों पिता पुत्र के नहीं होने के तर्क भी दिये गये। साथ ही दोनों जमानती आवेदन कर्ताओं का प्रत्यक्ष रूप से इस घटना से कोई संबंध नहीं है।

      वहीं न्यायाधीष महोदय द्वारा आवेदकों के तर्क सुनने के पश्चात अभियोजन पक्ष के अधिवक्ता प्रदीप दुबे एवं विकास भारद्वाज साथ शासकीय अधिवक्ता सादिक खान द्वारा तर्क प्रस्तुत किया कि उक्त घटना में समस्त आरोपियों जिसमें ये दोनों आवेदनकर्ता भी शामिल है। प्रत्यक्ष रूप से संबंध है तथा थाने के सीसीटीवी फुटेज एवं मृतकों द्वारा छोड़े गए सुसाइड नोट में भी इनके नामों का हवाला दिया गया है। इस प्रकार जमानत आवेदन पर अधिवक्ता प्रदीप दुबे द्वारा घोर आपत्ति दर्ज करवाई गई। परिणाम स्वरूप माननीय न्यायालय द्वारा अपना आदेश प्रदान करते हुए दोनों के जमानत आवेदन को खारिज कर दिया गया। पुरे मामले की अग्रीम जमानत याचिकाओं के खारिज होने की जानकारी शासकीय अधिवक्ता सादिक खान एवं पीड़ित पक्ष के वकील प्रदीप दुबे द्वारा मिडिया को दी गई।

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