धामनोद//मूत्र विर्सजन केन्द्र की कमी से जुझ रहा नगर का मुख्य चौराहा - Sammukh bharat news

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Saturday, 4 October 2025

धामनोद//मूत्र विर्सजन केन्द्र की कमी से जुझ रहा नगर का मुख्य चौराहा

धामनोद//मूत्र विर्सजन केन्द्र की कमी से जुझ रहा नगर का मुख्य चौराहा मधुमेह के रोगीयों सहित यात्री होते रहते हैं परेशान



अन्य लोग भी मूत्र विसर्जन के लिए यहाँ वहाँ भटकते रहते

धामनोद//प्रकाश जोशी(तेजाब)** कहने को तो यूँ धार जिले का सबसे बड़ा व्यापारिक नगर धामनोद कहलाता है, जहाँ हजारों लोगों का आवागमन प्रतिदिन होता रहता है। वहीं किसान भी अपनी उपज को लेकर क्षेत्र की सबसे बड़ी मण्डी में रोजाना आते हैं। वहीं इस चैराहे से इन्दौर से आने वाली एवं इन्दौर जाने वाली सैकड़ों बसें भी रुकती है। इस चैराहे से लगी हुई सैकड़ों दुकानें भी जिनके व्यवसाई सहित आम नागरिक भी अपने मूत्र विसर्जन के लिए मूत्र विसर्जन केन्द्र यानी पेषाब घर की तलाष करते रहते हैं। ऐसा नहीं कि यहाँ पहले बना हुआ नहीं था। विगत एक वर्ष पूर्व पुराने बने मूत्र विसर्जन केन्द्र को सुधार करने के नाम पर आई नगर परिषद की टीम पर कुछ इस तरह रसूखदारों सहित नेताओं ने दबाव बनाया कि सुधार कर रही टीम ने उसे पुरा ही हटा दिया।

      वहीं लोगों को नये बस स्टेण्ड पर बने मूत्र विसर्जन केन्द्र पर करने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। जबकि महेष्वर चैराहे से नये बस स्टेण्ड पर बने पेषाब घर की दूरी लगभग 300 मीटर है। यदि किसी व्यक्ति को वहाँ से दुसरी बस पकड़ना हो तो इतनी दूर जाकर आने में समय लगता है वहीं उसकी बस भी छुट जाती है। रात्रि में बस से उतरने वाला यात्री बन्द दुकानों के सामने ही मूत्र विसर्जन करने पर मजबूर रहता है, वहीं उसे अपमानानित होने का भी सामना करना पड़ता है। क्योंकि रात्रि 8 बजे के लगभग ही नये बस स्टेण्ड पर बने पेषाब घर पर ताला लगा दिया जाता है।

ठेका पद्धति होने से रात्रि 8 बजे ही मूत्र विसर्जन केन्द्रों पर लग जाते हैं ताले 

     नगर के पुराने एवं नये दोनों बस स्टेण्डों पर मूत्र विसर्जन केन्द्र बने हुए हैं परन्तु उनके ठेकेदार रात्रि 8 बजे ही ताले लगा देते हैं। जिससे लोगों को काॅफी परेषानी उठाना पड़ रही है। ऐसे में महेश्वर चैराहे पर रात्रि के समय लम्बी यात्रा कर उतने के दौरान सबसे पहले यात्री पेषाब घर ही तलाशता है। वहीं मधुमेह के रोगीयों की तो हालत और भी खराब हो जाती है वे पहले से ही परेशान रहतें हैं और मूत्र विसर्जन केन्द्र जल्दी नहीं पहुँच पाने पर अपने कपड़ों में ही मूत्र विसर्जन होने लगता हैं। जिससे उन्हें लोगों के सामने कितनी शर्मिन्दगी का सामना करना पड़ता है, यह उन रसूखदारों और नेताओं को समझ में कहाँ आता है। उन्होंने तो महज अपने रसूख के चलते महेश्वर चैराहे की मुख्य नाली पर बने मूत्र विसर्जन केन्द्र को हटवा कर अपनी पीठ थपथपा ली। कई बार मूत्र विसर्जन केन्द्रों पर रात्रि में ताले लगे होने की षिकायत भी की गई मगर नतीजा कुछ नहीं निकला।

स्वच्छ भारत मिशन के तहत भी नहीं बना पेशाब घर -

     एक तरफ देखा जाये तो इन्दौर जैसे शहरों में हर 500 मीटर पर सुलभ शौचालयों का निर्माण कराया गया है ताकि नगर को स्वच्छ रखा जा सके परन्तु यहाँ स्वच्छ भारत मिशन के नाम पर नगर परिषद् लाखों रुपये सरकार से ले चुकी है, परन्तु स्वच्छता का नामों निषान भी दिखाई नहीं देता है। ऐसे में नगर का महेष्वर चैराहा मूत्र विसर्जन केन्द्र की कमी झेल रहा है और लोग इधर उधर पेशाब करने पर मजबूर हो रहे हैं। आपको बता दें कि जबसे महेष्वर चैराहे पर बना पेषाब घर नगर परिषद् ने कुछ रसूखदारों के इशारे और दबाव के चलते हटाया है तभी से चैराहे के व्यापारियों सहित बाहर से आने वाले लोगों द्वारा जिला सहकारी बैंक की गली को पेषाब घर बना डाला है। इतना ही नहीं रात के अंधेरे में लोग वहाँ शौच तक कर जाते हैं। बैंक के कर्मचारी सहित वहाँ आने वाले उपभोक्ता भी पेषाब की बदबू से परेशान दिखाई दे रहे हैं। इस गली में कभी सफाई होते नहीं दिखाई दी है। उपर से कुछ दुकानदारों द्वारा कचरा भी यहीं डाला जाने लगा है।

*_क्या कहते है लोग -_*

     महेष्वर चैराहे पर पेशाब घर नहीं होने से काॅफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। इतना ही नहीं यात्रियों के साथ महिला यात्री जो लम्बी यात्रा के बाद इस चैराहे पर उतरती है उन्हें भी कहीं ना कहीं मूत्र विसर्जन के लिए ठेलों, दुकानों की आड़ में जाकर मूत्र विर्सजन करने के दौरान बड़ी शर्मिन्दगी झेलना पड़ती है। - 

*संजय वर्मा*

     मैं एक मधुमेह का रोगी हूँ अपनी जाँच कराने बार बार इन्दौर आना जाना पड़ता है। बीमारी के कारण पेषाब रुक नहीं पाती है। लम्बी यात्रा के बाद महेष्वर चैराहे पर बस से उतरते ही पेशाब घर नहीं होने से कई बार कपड़ों में होने लगती है। लोगों के सामने शर्मिन्दा होना पड़ता है। - 

*मांगीलाल यात्री*

     कई बार रात्रि में इन्दौर से आने के दौरान महेष्वर चैराहे पर उतरते ही अगली बस पकड़ना पड़ती है। वहीं ढलती उम्र के कारण पेशाब रुक नहीं पाती है। तो यहीं फल फ्रूट के ठेले की आड़ में करना पड़ती है। लोगों के बीच कई बार शर्मिन्दा भी होना पड़ा है। नये बस स्टेण्ड पर भी पेशाब घर पर ताले लग जाते हैं। -

 *बसन्तीबाई यात्री*

      हमारी बैंक परिसर के पास ही दिन रात लोग पेशाब कर चले जाते हैं। वहीं कुछ दुकानदार भी अपनी दुकानों का कचरा भी डाल रहे हैं। इतना ही नहीं रात्रि के दौरान शरारती तत्व के लोग शौच तक कर जाते है। जिसके चलते बैंक में आने वाले उपभोक्ताओं और हम कर्मचारियों को भी बदबू से काॅफी दिक्कत हो रही है। - *

संजय वाणी, ब्रांच मेनेजर जिला सहकारी बैंक धामनोद*

*_क्या कहते हैं जिम्मेदार -_*

     समस्या गंभीर है यात्रियों और व्यापारियों की तकलिफ को देखते हुए जल्द ही महेश्वर चैराहे पर फिर से पेशाब घर निर्माण के लिए परिषद में प्रस्ताव रखकर पुनः निर्माण के लिए मंजूरी ली जायेगी। - 

*माया मंडलोई, मुख्य नगर पालिका अधिकारी,न नगर परिषद, धामनोद*

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