मानवता की मिसाल बने धामनोद थाना प्रभारी प्रवीण ठाकरे का वायरल वीडियो"
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यक्रम में भारी भीड़ मौजूद थी। पंडाल में देशभक्ति और उत्साह का माहौल था। तभी एक कोना सबका ध्यान खींच लेता है—एक विकलांग व्यक्ति, जो अपने हाथों के सहारे धीरे-धीरे ज़मीन पर चलकर पंडाल से बाहर जाने की कोशिश कर रहा था।
लंबा और भीड़भरा पंडाल… रास्ता कठिन और थका देने वाला। उसकी हर कोशिश, हर कदम उसके संघर्ष की गवाही दे रही थी। लोग देख तो रहे थे, पर कोई आगे बढ़ने की हिम्मत नहीं कर पा रहा था।
इसी बीच धामनोद थाना प्रभारी प्रवीण ठाकरे की नज़र उस दृश्य पर पड़ी। उनके दिल में करुणा की लहर उठी। इंसानियत की पुकार ने उन्हें चैन से बैठने नहीं दिया। बिना किसी औपचारिकता के, बिना किसी दिखावे के… वह तुरंत आगे बढ़े।
उन्होंने झुककर उस विकलांग व्यक्ति को अपनी गोद में उठा लिया। चेहरों पर आश्चर्य, आँखों में भावुकता—पंडाल की भीड़ उस क्षण स्तब्ध रह गई। एक पुलिस अधिकारी, जो आमतौर पर सख़्ती और अनुशासन के प्रतीक माने जाते हैं, आज मानवता और करुणा की मिसाल बन गए।
प्रवीण ठाकरे उसे अपनी गोद में उठाकर धीरे-धीरे पंडाल के बाहर ले आए। विकलांग व्यक्ति के चेहरे पर कृतज्ञता की चमक थी—मानो भगवान ने इंसान के रूप में उसकी मदद भेज दी हो।
यह दृश्य सिर्फ एक मदद भर नहीं था, यह संदेश था—मानवता सबसे बड़ा धर्म है।
यह याद दिलाने वाला क्षण था कि वर्दी केवल कानून और व्यवस्था का प्रतीक नहीं, बल्कि संवेदनशीलता और सेवा की पहचान भी है।
सोशल मीडिया पर यह वीडियो जैसे ही वायरल हुआ, लोग भावुक हो उठे। हर किसी ने यही कहा—“अगर समाज में ऐसे अधिकारी और इंसान मौजूद हैं तो मानवता कभी खत्म नहीं होगी।”
धामनोद के थाना प्रभारी प्रवीण ठाकरे का यह छोटा-सा कदम एक बड़ा सबक है—
ज़िंदगी में जब भी मौका मिले, मदद का हाथ बढ़ाइए।
क्योंकि पद, शक्ति और पहचान सब पीछे छूट जाते हैं, लेकिन इंसानियत हमेशा याद रहती है।
यह दृश्य हम सबको यही सिखाता है कि इंसान होने का असली अर्थ है—दूसरे के दुख को महसूस करना और बिना किसी स्वार्थ के उसे कम करने की कोशिश करना।
आज के इस दौर में जब संवेदनाएँ कहीं खोती नज़र आती हैं, ऐसे कार्य हमें विश्वास दिलाते हैं कि मानवता आज भी जीवित है।
धामनोद से निकला यह दृश्य सिर्फ़ एक घटना नहीं, बल्कि एक प्रेरणा है… जो हर दिल में यही विश्वास जगाती है—जहाँ इंसानियत है, वहीं सच्चा ईश्वर है।


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