महाविद्यालय धामनोद में स्टाफ के द्वारा जन भागीदारी संस्था की नाक के नीचे हो रही भ्रष्टाचारी
सिस्टम में व्याप्त भ्रष्ट जिम्मेदारों ने पांच हजार की जगह फर्जी बिल लगाकर नौ हजार छ: सौ रूपये की राशि का किया आहरण।
धामनोद- सरकार द्वारा भrले ही शासकीय महाविद्यालयों के प्रोफेसरों, प्रिंसिपल को लाखों रूपए की सैलरी निर्गत करते हो, बावजूद उसके कुछ भ्रष्ट जिम्मेदारों की प्यास नहीं बुझ पा रही है। जो सिस्टम में व्याप्त भ्रष्ट जिम्मेदारों के रवैया को इंगित कर रहा है।
दरअसल हम बात कर रहे है धामनोद की शास.महाविद्यालय की । बता दे की
कई गरीब बच्चे एवं आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र होने के कारण कई गरीब वर्ग के छात्र-छात्राएं अध्ययन करने के लिए यहां पर आते हैं। लेकिन लाखों रुपए प्रति माह की सैलरी पाने वाले प्राचार्य से लेकर अकाउंटेंट तक भ्रष्टाचारी में अपनी सांख स्थापित कर चुके हैं । जन भागीदारी के सदस्य अध्यक्ष एवं प्रतिनिधियों की नाक के नीचे हजारों रुपए के बिल जन भागीदारी सदस्यों के रहते निकाल कर खा गए हैं । और जन भागीदारी के पदाधिकारी को मालूम भी नहीं पड़ता ऐसा ही एक मामला महाविद्यालय संस्थान की बिल्डिंग के मुख्य द्वार पर पेंटिंग के द्वारा शासकीय महाविद्यालय धामनोद लिखवाया गया है। जिसका बाजार मूल्य तकरीबन 5 हजार के करीब बनता है । जिसका महाविद्यालय संस्थान के द्वारा 9620/- का बिल लगाकर राशि आहरंण कर लिया है । देखना यह है कि उच्च अधिकारी ईन भ्रष्टाचारी कर्मचारियों पर क्या कार्रवाई करते हैं।
क्या कहना इनका:-
आपके द्वारा मामला संज्ञान में आया है । मुझे इस बारे में कोई जानकारी नहीं थी दोषियों पर उचित कार्रवाई करवाने के लिए मैं भी आपके साथ हूं।
जन भागीदारी अध्यक्ष सोहन वास्कैल( धौनी)
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