धामनोद //नगर भ्रमण को निकले नर्मदेश्वर भक्ति का महासंगम 17 वर्षों से निरंतर आयोजन किया जा रहा है
धामनोद नगर एक बार फिर भक्ति, आस्था और संस्कृति की त्रिवेणी में डूब गया, जब नगर के राजा भगवान नर्मदेश्वर महादेव की दिव्य सवारी “शिव डोला यात्रा” का भव्य आयोजन हुआ। श्री नर्मदेश्वर महादेव शिव डोला समिति द्वारा आयोजित यह आयोजन केवल एक धार्मिक रैली नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक पर्व बन गया — जिसने नगर को शिवमय बना दिया।
हर-हर महादेव से गूंजीं नगर की गलियां
सुबह मंदिर प्रांगण में विधिपूर्वक पूजा-अर्चना के साथ भगवान शिव की सवारी का शुभारंभ हुआ। जैसे ही डोला नगर भ्रमण पर निकला, “हर हर महादेव” और “बम बम भोले” के जयघोष से वातावरण शिव-भक्ति में सराबोर हो गया।
संस्कृति, नृत्य और भक्ति का अद्भुत संगम
डोला यात्रा की भव्यता में चार चाँद लगाए देशभर से आए कलाकारों और मंडलियों ने। हरियाणा के हिसार से आए शिव अघोरी ग्रुप की तांडव और अघोरी नृत्य की प्रस्तुति ने भगवान शिव के रौद्र और अलौकिक रूप को जीवंत कर दिया। वहीं, राजस्थानी लोकनृत्य की टोली ने अपने पारंपरिक परिधानों और घूमर नृत्य से यात्रा को उत्सव में बदल दिया।
ढोल, भस्म और उज्जैन की महाकाल शैली
खरगोन से आए ढोल दल ने पूरे नगर की गति को भक्ति के ताल में बांध दिया। साथ चल रही उज्जैन की भस्मरमैय्या ग्रुप ने महाकाल की शैली में भस्म अर्पण करते हुए शिव तांडव की झलक दिखाई, जिसे देखकर लोग भावविभोर हो गए।
स्वागत द्वारों से हुआ देवस्वागत जगह-जगह भोले के भक्तों ने खाने के स्टाल लगाए
नगरवासियों ने जगह-जगह फूलों की वर्षा, दीपमालाएं और आरती से डोला यात्रा का स्वागत किया। जय संतोष बैंड की सुमधुर धुनों ने पूरे वातावरण को भक्तिरस से सराबोर कर दिया।
भजनों की सुरमयी शाम
इस आध्यात्मिक यात्रा की ऊंचाई और भी बढ़ाई सुप्रसिद्ध भजन गायिकाओं ने।
राधिका तिवारी (इंदौर) की शिव तांडव प्रस्तुति ने श्रद्धालुओं को भावविभोर कर दिया।
नेहा ठाकुर (इंदौर) के ‘भोले शंकर की बारात निकली’ भजन पर श्रद्धालु झूमते नजर आए।
जीतू धोरा (रतलाम) की आवाज़ ने शिव के नाम से मन को शिवमय कर दिया।
श्रद्धा, संस्कृति और समर्पण का संदेश
नगर की हर गली से गुज़रती यह यात्रा केवल धार्मिक आस्था नहीं, बल्कि सामाजिक एकता और सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक बनी। बुजुर्ग हों या युवा, हर कोई इस डोला यात्रा का हिस्सा बन गर्व और भक्ति से ओतप्रोत नजर आया।
समापन पर महाआरती और प्रसादी
रात्रि में डोला पुनः मंदिर पहुंचा, जहां भव्य महाआरती और साथ यात्रा का समापन हुआ। इसके उपरांत श्रद्धालुओं को प्रसादी वितरित की गई। रिमझिम बारिश में झूमते भोलेभक्तों ने शिवगानों पर नृत्य करते हुए इस आध्यात्मिक अनुभव को अविस्मरणीय बना दिया।
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